कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?
कथावस्तु के आधार पर निःसंदेह सबसे सशक्त पात्र बनकर जो उभरता है वह उमा ही है। इसलिए उमा ही इस एकांकी की मुख्य पात्र है। वास्तव में इस एकांकी में रामस्वरूप, गोपाल प्रसाद, शंकर तथा उनका नौकर तथा महिला पात्रों में प्रेमा तथा उमा हैं। इनमें से रामस्वरूप तथा गोपालदास एकांकी के अधिकांश भाग में उपस्थित रहते हैं, किंतु इनमें से कोई भी चारित्रिक रूप से आकर्षित नहीं कर पाता है। रामस्वरूप परिस्थितियों के अधीन हो समझौता कर लेते हैं तो गोपाल प्रसाद में अनुकरणीय चरित्र या गुणों का अभाव दिखता है। शंकर दोहरे व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है। उसमें समाजोपयोगी तथा समाज का आदर्श व्यक्ति बनने की योग्यता नहीं है। इनमें उमा बी.ए. पास सुशिक्षित लड़की है जो चरित्रवान, साहसी, अपनी बात को दृढ़तापूर्वक कहने वाली है। वह अपनी तथा समाज में नारियों की सम्मानजनक स्थिति के लिए चिंतित दिखती है। उमा की उपस्थिति भले थोड़े समय के लिए थी परन्तु उसके विचारों से प्रभावित हुए बिना हम नहीं रह पाते हैं। वह हमें बहुत कुछ सोचने के लिए मजबूर करती है। उसकी उपस्थिति नारी-समाज को एक नई सोच और दिशा प्रदान करती है।